यदि सप्ताह में दो बार मसाज चिकित्सा किया जाए तो व्यक्ति तमाम प्रकार के रोगों से दूर रहता है, मसाज थेरेपी से नर्वस सिस्टम स्वस्थ और नरम होता है, मसाज से पाचन प्रणाली सही होता है, शक्ति आती है और रक्त संचार बहुत तेज गति से बढ़ता है, सभी अंगों से टॉक्सिक या गंदे पदार्थ बाहर निकल जाते हैं,
मसाज से पसीना और पेशाब के द्वारा शरीर के अंदर विजातीय तत्व निकल जाता है, यह fatty लीवर नस नाड़ीयां वह त्वचा को स्वस्थ बनाता है, यह कोलेस्ट्रोल, मोटापा, यूरिक एसिड और जाकड़न को खत्म करना है, मांस पेशियों को नरम और शरीर को सही शेप में रखता है, थकावट दूर करता है, शक्तिशाली बनाता है, आंख नाक कान के रोग मिट जाते हैं, अच्छी नींद आती है, जीवनी शक्ति बढ़ता है, उम्र को दीर्घायु प्रदान करता है।
यदि सप्ताह में दो बार मसाज चिकित्सा किया जाए तो व्यक्ति तमाम प्रकार के रोगों से दूर रहता है, मसाज थेरेपी से नर्वस सिस्टम स्वस्थ और नरम होता है, मसाज से पाचन प्रणाली सही होता है, शक्ति आती है और रक्त संचार बहुत तेज गति से बढ़ता है, सभी अंगों से टॉक्सिक या गंदे पदार्थ बाहर निकल जाते हैं,
मसाज से पसीना और पेशाब के द्वारा शरीर के अंदर विजातीय तत्व निकल जाता है, यह fatty लीवर नस नाड़ीयां वह त्वचा को स्वस्थ बनाता है, यह कोलेस्ट्रोल, मोटापा, यूरिक एसिड और जाकड़न को खत्म करना है, मांस पेशियों को नरम और शरीर को सही शेप में रखता है, थकावट दूर करता है, शक्तिशाली बनाता है, आंख नाक कान के रोग मिट जाते हैं, अच्छी नींद आती है, जीवनी शक्ति बढ़ता है, उम्र को दीर्घायु प्रदान करता है।
गिली मिट्टी के प्रयोग से रक्त का संचार पेट के भाग एवं जिस भाग पर मिट्टी रखी गाई है,उसकी तरफ़ ज़्यादा हो जाता है।
जिससे उस अंग की गंदगी अथवा रोग को निकाल फेंकता है।
कागासन में बैठकर जल नेति या रबर नेति या सूत्र नेति किया जाता है, गुनगुने पानी मैं नेति को भिगोकर एक नाक से डाला जाता है और दूसरे से निकाला जाता है इससे साइनस, नजला, जुकाम, खांसी, सर दर्द, गले की खराश, और पिंपल आदि रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
भाप स्नान या स्टीम बाथ मे एक विशेष प्रकर का काढ़े का प्रयोग करके भाप दिया जाता है जिससे कोलेस्ट्रोल,मोटापा,नाड़ीयों के रोग, रक्त दोस,त्वचा रोग, अस्थमा,जुकाम, थकावट, सर दर्द, शुगर इत्यादि ठीक होते हैं,भाप स्नान से रक्त संचार बढ़ा के सारे शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है वापस नाम skin चैनल्स के दोषों को निकाल के रक्त को शुद्ध करता है, ताजगी आती है, ऊर्जा मिलती है, शरीर स्वस्थ होता है, भाप स्नान करने के बाद ताजे पानी से स्नान करना चाहिए। अर्थराइटिस, एस्ट्रो सूजन तथा स्वास्थ्य संबंधी तमाम रोग ठीक हो जाते हैं।
कटि बस्ती लेने से उस स्थान की चोट को ठीक एवं कमजोर नसों को खोलती है। इस उपचार मेन हम आयुर्वेदिक शुद्ध घी अथवा तेल का इस्तेमाल करते है।
इस प्रक्रिया मे तेल अथवा घृत को ३० से ५० मिं. तक प्रभावित जगह पर रखकर उपचार किया जता है